Thursday, June 29, 2017

दक्षिण भारत यात्रा /-Day -1 /..8 जून -2017 इटौंजा ,लखनऊ से हिंगनघाट ,महाराष्ट्र

  पिछले वर्ष मैंने परिवार सहित अपनी स्कॉर्पियो से ही तिरुपति आंध्रप्रदेश होते हुए
 पुरी उड़ीसा तक की यात्रा की थी इसीलिए मेरे बीच के स्थान घूमें हुए थे।अजय के परिवार का श्रीसैलम मल्लिकार्जुन नहीं हुआ था तो हमने यहाँ दर्शन करते हुए तमिलनाडु जाना निश्चित किया...जो कि लखनऊ से लगभग 1700 किमी है।...प्रथम दिन हमारा लक्ष्य नागपुर निकल  करके जाम्ब या हिंगन घाट तक पहुँचना था जिससे 1000 किमी का सफर पूरा हो जाता तो दूसरे दिन के लिये 700 किमी का सफर करना आसान  पड़ता.....।सिक्किम यात्रा में हम सुमित, अभिषेक आशीष सुबह चार बजे घर से निकले थे और गोरखनाथ बाबा के दर्शन करते हुए घूमते-घामते सिलिगुड़ी 980 किमी चल गये थे जबकि आखिरी 100 किमी रोड टू लेन थी और खराब भी थी....।
 लखनऊ से नागपुर के दो रास्ते हैं...कानपुर से हमीरपुर -महोबा -छतरपुर -सागर -सिवनी -नागपुर  !!
जिसमें कानपुर से सागर तक टू लेन है फ़िर फोर लेन !!
दूसरा रास्ता कानपुर -झाँसी -ललितपुर -सागर -नरसिंह पुर -छिंदवाडा -नागपुर !!जिसमें नरसिंह पुर तक फोर लेन फ़िर टू लेन !!
पिछले वर्ष हम पहले रास्ते से खजुराहो -जबलपुर -रामटेक -पेंच टाइगर रिज़र्व घूमते हुए गये थे तो दूसरे रास्ते से सुबह 4 बजे निकलने का प्लान किया......।
 तय समय से कुछ मिनट विलम्ब के साथ हम इटौंजा मेन मार्केट से 4:25 पर दक्षिण भारत रामेश्वरम की यात्रा के लिये निकल गये..।

प्रारम्भ में मीटर रीडिंग

                 
सुबह 6:15 पर हम गंगा मैया कानपुर पर
7:25 पर काल्पी में यमुना मैया पार कर
संयोग से  काल्पी के उसी ढाबे पर चाय पानी के लिये रुके ,जिसपर गुजरात जाते हुए रुके थे......
9:15 पर हम झाँसी से 48 km पहले
A fortess किले पर थे !
10:10 पर झाँसी निकल कर ललित पुर की तरफ़ निकल गये थे...
10:40 पर बबीना के आगे बेतवा नदी क्रॉस की
11पर शहजादसागर रिजर्वेयर पर थे !!           
                                           
                                             


सागर के रास्ते में 

धूप बहुत तेज थी....गाड़ी का ac काम नहीं कर रहा था दो दिन पहले भी कुछ दिक्कत लग रही थी.....।
एक बजे हम सागर के करीब थे...।
गाड़ी में बैठना मुश्किल हो रहा था...।
तभी सागर मेन रोड पर उल्टी दिशा में महिन्द्रा का सेल्स & सर्विस सेंटर दिखा तो
हम गाड़ी वापस कर वहाँ गये....
मुझे गैस कम लग रही थी पर वहाँ के मैकेनिक ने लीकेज बतायी और दो दिन का समय माँगा...उसपर गैस फीलिंग की मशीन खराब थी... खैर उसने  सागर शहर में ही मुझे उचित दुकान का पता दे दिया...
वो मैकेनिक भी नहीं मिला ,वो 30 मिनट में आने को बोला तो हमने wait करना ही ठीक नहीं समझा और इधर उधर दूसरी दुकान देखने लगे...नहीं मिली तो फ़िर से उसको फोन किया ,वो टाइम से पहले ही आ गया....और चेक करके गैस कम होने को ही वजह बताया ....तारीफ करनी होगी.....उसने हमसे एकदम वाजिब पैसे लिये...अंदर ठंढ मिली तो सफर अच्छा लगने लगा.....!!

सागर में ac में गैस डलवाते हुए

                                 
                   

 5 बजे और 5:40 पर छिंदवाडा के खगनी और देवरिया खुर्द..... दो गाँवों  में हम लोग रुके..जहाँ हमने देखा कि गाँवों में सफाई बहुत थी ...ये आदिवासियों के गाँव थे ......अधिकतर घरो पर खपरैल थी ...पर सबके ऊपर  DTH की छतरी लगी थी इससे पता चल रहा था कि देश तरक्की कर रहा है......रोड बहुत शानदार थी ......टू लेंन पर भी हम बड़े आराम से 110-120 पर चल रहे थे ....जंगल के रास्ते थे तो सफ़र का मज़ा दुगुना हो गया था ...

खगनी गाँव

                           

आदिवासी लोग

                                       

नरसिंहपुर से छिंदवाड़ा के बीच

                                                

खपरैल डालते हुए आदिवासी


डिश तो हर घर पर थी Add caption


MP के रोड

                   

 
 6  बजे हम 850 km चल कर छिंदवाडा में थे....
छिंदवाडा से 18 km  आगे हमारा दर्शन का पहला मंदिर था..101 फीट हनुमान जी का मंदिर...देश की सबसे ऊंची हनुमान प्रतिमा मध्‍यप्रदेश के सिमरिया में.....।

तीन फीट की मूर्ति ने 101 फीट का लिया आकार
वर्ष 2012 में करीब पांच एकड़ में एक मंदिर बनाने की योजना पर काम शुरू हुआ। शहर से 18 किलोमीटर दूर नागपुर रोड पर स्थित सिमरिया में सड़क किनारे एक छोटे से चबूतरे पर छोटी सी प्रतिमा बनाई गई। यह स्थान तब से लोगों के लिए आस्था का केंद्र था, लेकिन इतनी ख्याति नहीं थी।  101 फीट की मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई राजस्थान के मूर्तिकार को, इन्होंने हूबहू वैसी ही प्रतिमा बनाई जो वर्षों से यहां एक चबूतरे पर स्थापित की गई थी।
जिसमें बजरंगबली की मूर्ति के साथ ही शिव पार्वती, राम दरबार, लक्ष्मी नारायण, भगवान गणेश, देवी दुर्गा की प्रतिमायें भी मंदिर में स्थापित की गई हैं।
6:30 पर जब हम  इस मंदिर पहुँचे तो बारिश हो रही थी....हमने इंतजार किया...
फ़िर दर्शन किये....उसके बाद चाय की याद आयी...जबकि मंदिर के सामने होटल थे...उस वक्त हम चाय पानी कर सकते थे पर दर्शन के आगे याद ही नहीं आयी....खैर चाय नाश्ता कर हम लोग...आगे बढ़ गये...।इसके आगे ट्रैफिक ज्यादा था और हमें  नागपुर सिटी के बीच से गुजरना पड़ा....।
गाड़ी चल ही नहीं रही थी....और बच्चे पिज़्ज़ा कि शॉप गिन रहे थे....बच्चो को किसी से ज्यादा मतलब नहीं...बस घूमना...खाना...और मस्ती....और आखिर हम लोग भी तो यही चाहते हैं...!!
किसी तरह शहर निकला तो गाड़ी ने स्पीड ली...फ़िर हम रात का खाना खा कर "जाम्ब" जो कि 60 km पर था रुकने को चुना ,पर जाम्ब का इकलौता होटल पिछली बार बारात के लिये पूरा बुक था....इस बार हमेशा के लिये बँद हो चुका था..तो  13 km दूर हिंगनघाट के अतिरिक कोई ऑप्शन ही नहीं था......दूरी नहीं थी ,11:30 पर हम ढूँढते -ढूँढते पिछली बार वाले एल एल गेस्ट हाउस में ही पहुँच गये.....पिछली यात्रा का reference देने से रूम आसानी से मिल गये बढ़िया डिसकाउंट के साथ...
1093 km चलकर हम पहले दिन के टारगेट को पा चुके थे...!!
     अगला पड़ाव श्रीसैलम था....!!
 ।। जय भोले नाथ ।।

१०१ फीट हनुमान जी छिंदवाडा

                                         



दोबारा यहीं रुके