यहाँ से पहले हम चिदम्बरम से 12 km दूर पिचावरम के मैंग्रोव जंगल की ओर निकल गये.....मैंग्रोव सामान्यतःपेड़ व पौधे होते हैं, जो खारे पानी में तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं....यहां एक झील है जिसमें बोटिंग कराते हैं....जिसमें कई छोटे द्वीप है... जिन पर हजारों प्रजातियों के पक्षी रहते है, पक्षी स्थानीय और प्रवासी होते है....यहां पानी के पक्षी भी पाएं जाते है..
सुन्दरवन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव क्षेत्र है...ये भारत से बांग्लादेश तक फैला है...
पिचावरम का मैंग्रोव ...कावेरी व अन्य नदियों के डेल्टा में पड़ता है....
इन नदियों के मीठे पानी की वजह से पानी में खारापन कम रहता है....
2004 सुनामी कई तटवर्ती इलाक़ों में बर्बादी फैलाकर चली गईं.....
पर पिचावरम में दलदली ज़मीन पर खारे पानी में उगे जंगल(मैंग्रोव)थे जिन्होंने सुनामी लहरों को ढाल की तरह रोक लिया और उसके पीछे बसे गाँव सुरक्षित रहे.
तब पिचावरम ही नहीं, पूरी दुनिया की समझ में आया कि प्रकृति सिर्फ़ विनाश ही नहीं करती बल्कि बचाव के रास्ते भी सुझाती है...और पेड़ हर तरह से मददगार....!!
4:30 के करीब हमको संकरी सी नहर में नावें खड़ी दिखनी शुरू हो गयी...और मल्लाह हमें देखकर हाथ देने लगे...हम रुके नहीं क्यों कि...हमारे पास टाइम कम था... हमें मोटरबोट से ही घूमना था.....जो हमें कम टाइम में पूरी सैर करा देती...मैंने एक मोहतरमा का लेख पढ़ा था जिसमें यहाँ की चार यात्राओं का निचोड़ था.....
यहाँ मोटरबोट का किराया 640 rs था..कैमरे का 50 rs अलग था....
लाइफ जैकेट पहन हम जैसे ही बढे
... जंगल देखते ही तबियत खुश हो गयी.
क्या मनमोहक दृश्य था.......
बोट हमें लेकर आगे बढ़ी और हम प्रकृति की गोद में खो गये.....
पानी में उगे पेड़....जिनका जीवन पानी में ही ख़त्म होना था.....
झील में कुछ नाव भी थी......
हम चौड़ी सी नहर जैसी जगह से...जा रहे थे तभी चालक ने हमें एक ऑफर दिया जिसे हमको स्वीकार करना ही था....
विहार का टाइम बढ़ाने का और बोट मैंग्रोव की पतली नहरों के बीच में से गुजारने का....जिनके बीच से हाथ से खेने वाली छोटी नाव की अनुमति होती है....उसके उसने 500 rs माँगे..जो उस जगह के लिहाज से पहले ही कम थे.....
पर फ़िर भी हमने उसको कम कराया और वो तीन सौ में मान गया....और फ़िर दिल लगा कर घुमाने लगा....
यहाँ कैमरे का एंगल कोई मायने नहीं रखता.....
कहीं click करो.....फोटो जबरदस्त आनी थी.......
एक नयी दुनिया में आ गये जब उसने एक सकरी सी नहर में बोट मोड़ दी.....
सिर में छूती हुई पेड़ की टहनियाँ....
और नीचे स्थिर पानी....
फ़िर तो बहुत सारी छोटी नहरों की सैर करायी उसने...
सब बिजी...थे...
टाइम का पता ही न चला.......
बाहर आकर हमने शाम का नाश्ता वहीं किया और..
तिलइ नटराज के दर्शन को चिदम्बरम चल पड़े.....
पिचावरम का मैंग्रोव ...कावेरी व अन्य नदियों के डेल्टा में पड़ता है....
इन नदियों के मीठे पानी की वजह से पानी में खारापन कम रहता है....
2004 सुनामी कई तटवर्ती इलाक़ों में बर्बादी फैलाकर चली गईं.....
पर पिचावरम में दलदली ज़मीन पर खारे पानी में उगे जंगल(मैंग्रोव)थे जिन्होंने सुनामी लहरों को ढाल की तरह रोक लिया और उसके पीछे बसे गाँव सुरक्षित रहे.
तब पिचावरम ही नहीं, पूरी दुनिया की समझ में आया कि प्रकृति सिर्फ़ विनाश ही नहीं करती बल्कि बचाव के रास्ते भी सुझाती है...और पेड़ हर तरह से मददगार....!!
4:30 के करीब हमको संकरी सी नहर में नावें खड़ी दिखनी शुरू हो गयी...और मल्लाह हमें देखकर हाथ देने लगे...हम रुके नहीं क्यों कि...हमारे पास टाइम कम था... हमें मोटरबोट से ही घूमना था.....जो हमें कम टाइम में पूरी सैर करा देती...मैंने एक मोहतरमा का लेख पढ़ा था जिसमें यहाँ की चार यात्राओं का निचोड़ था.....
यहाँ मोटरबोट का किराया 640 rs था..कैमरे का 50 rs अलग था....
लाइफ जैकेट पहन हम जैसे ही बढे
... जंगल देखते ही तबियत खुश हो गयी.
क्या मनमोहक दृश्य था.......
बोट हमें लेकर आगे बढ़ी और हम प्रकृति की गोद में खो गये.....
पानी में उगे पेड़....जिनका जीवन पानी में ही ख़त्म होना था.....
झील में कुछ नाव भी थी......
हम चौड़ी सी नहर जैसी जगह से...जा रहे थे तभी चालक ने हमें एक ऑफर दिया जिसे हमको स्वीकार करना ही था....
विहार का टाइम बढ़ाने का और बोट मैंग्रोव की पतली नहरों के बीच में से गुजारने का....जिनके बीच से हाथ से खेने वाली छोटी नाव की अनुमति होती है....उसके उसने 500 rs माँगे..जो उस जगह के लिहाज से पहले ही कम थे.....
पर फ़िर भी हमने उसको कम कराया और वो तीन सौ में मान गया....और फ़िर दिल लगा कर घुमाने लगा....
यहाँ कैमरे का एंगल कोई मायने नहीं रखता.....
कहीं click करो.....फोटो जबरदस्त आनी थी.......
एक नयी दुनिया में आ गये जब उसने एक सकरी सी नहर में बोट मोड़ दी.....
सिर में छूती हुई पेड़ की टहनियाँ....
और नीचे स्थिर पानी....
फ़िर तो बहुत सारी छोटी नहरों की सैर करायी उसने...
सब बिजी...थे...
टाइम का पता ही न चला.......
बाहर आकर हमने शाम का नाश्ता वहीं किया और..
तिलइ नटराज के दर्शन को चिदम्बरम चल पड़े.....
पिचावरम टूरिज्म स्टॉप |
मोटर बोट स्टैंड |
मैन्ग्रोव के जंगल |
जंगल के अन्दर की संकरी नहरे |
रोमांच के चरम पर |
पेड़ की शाखाये |
चौड़े रास्ते |
सुन्दर पत्तियां |
वेणु और भाभी |
मेरी धर्मपत्नी सुषमा |
चोटी पर चील |
रोइंग बोट पर मल्लाह |
सुरमई शाम |
वापस आ ही गये |
खूबसूरत बोट्स |
हमारी बोट का चालक |
प्लास्टिक नही ले जाने का |
मेरा यहाँ से जाने का मन नही |
तुम मेरे से कम शैतान हो |
काफी तो बनती है |
यहाँ से हमें उत्तरी गोपुरम पर जहाँ पार्किंग की जगह थी भेज दिया गया. हम मंदिर परिसर के किनारे ही एक km से ज्यादा चल गये....
तिलई नटराज मंदिर का निर्माण
आकाश तत्व के लिए है...जो नटराज के रूप में शिव को समर्पित है.... शास्त्रीय नृत्य की 108 मुद्राओं के पुरातन चित्र यही हैं.. इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आधुनिक योग विज्ञान के जनक पतंजलि ने की थी.......ये 40 एकड़ (17 लाख sq फीट )के क्षेत्र में फैला हुआ है...मंदिर में पांच आंगन हैं...चिदम्बरम को भगवान विष्णु और भगवान शिव का ही प्रतीक माना जाता है.....असाधारण स्थान है यह...यहाँ के पुजारी एक अलग तरह की केश सज्जा रखते हैं....
और बढ़िया सी ड्रेस कोड भी...
दर्शन कर हम बाहर आये....
चिदम्बरम..कुड्डालोर जिले की एक जगह है...यहाँ सोने की बहुत शॉप थी जहाँ गोल्ड की आर्टीफिशल ज्वेलरी बहुत बिकती है....
अब हम कुम्भकोणम के लिये निकल गये...जहाँ हमे रात्रि विश्राम कर सुबह दर्शन करने थे....!!
तिलई नटराज मंदिर का निर्माण
आकाश तत्व के लिए है...जो नटराज के रूप में शिव को समर्पित है.... शास्त्रीय नृत्य की 108 मुद्राओं के पुरातन चित्र यही हैं.. इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आधुनिक योग विज्ञान के जनक पतंजलि ने की थी.......ये 40 एकड़ (17 लाख sq फीट )के क्षेत्र में फैला हुआ है...मंदिर में पांच आंगन हैं...चिदम्बरम को भगवान विष्णु और भगवान शिव का ही प्रतीक माना जाता है.....असाधारण स्थान है यह...यहाँ के पुजारी एक अलग तरह की केश सज्जा रखते हैं....
और बढ़िया सी ड्रेस कोड भी...
दर्शन कर हम बाहर आये....
चिदम्बरम..कुड्डालोर जिले की एक जगह है...यहाँ सोने की बहुत शॉप थी जहाँ गोल्ड की आर्टीफिशल ज्वेलरी बहुत बिकती है....
अब हम कुम्भकोणम के लिये निकल गये...जहाँ हमे रात्रि विश्राम कर सुबह दर्शन करने थे....!!
जय भोले नाथ !!
यहाँ हम मंदिर के करीब पहुँचे तो साउथ गोपुरम के पास थे...
यहाँ से हमें उत्तरी गोपुरम पर जहाँ पार्किंग की जगह थी भेज दिया गया. हम मंदिर परिसर के किनारे ही एक km से ज्यादा चल गये....
तिलई नटराज मंदिर का निर्माण
आकाश तत्व के लिए है...जो नटराज के रूप में शिव को समर्पित है.... शास्त्रीय नृत्य की 108 मुद्राओं के पुरातन चित्र यही हैं.. इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आधुनिक योग विज्ञान के जनक पतंजलि ने की थी.......ये 40 एकड़ (17 लाख sq फीट )के क्षेत्र में फैला हुआ है...मंदिर में पांच आंगन हैं...चिदम्बरम को भगवान विष्णु और भगवान शिव का ही प्रतीक माना जाता है.....असाधारण स्थान है यह...यहाँ के पुजारी एक अलग तरह की केश सज्जा रखते हैं....
और बढ़िया सी ड्रेस कोड भी...
दर्शन कर हम बाहर आये....
चिदम्बरम..कुड्डालोर जिले की एक जगह है...यहाँ सोने की बहुत शॉप थी जहाँ गोल्ड की आर्टीफिशल ज्वेलरी बहुत बिकती है....
अब हम कुम्भकोणम के लिये निकल गये...जहाँ हमे रात्रि विश्राम कर सुबह दर्शन करने थे....!!
यहाँ से हमें उत्तरी गोपुरम पर जहाँ पार्किंग की जगह थी भेज दिया गया. हम मंदिर परिसर के किनारे ही एक km से ज्यादा चल गये....
तिलई नटराज मंदिर का निर्माण
आकाश तत्व के लिए है...जो नटराज के रूप में शिव को समर्पित है.... शास्त्रीय नृत्य की 108 मुद्राओं के पुरातन चित्र यही हैं.. इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आधुनिक योग विज्ञान के जनक पतंजलि ने की थी.......ये 40 एकड़ (17 लाख sq फीट )के क्षेत्र में फैला हुआ है...मंदिर में पांच आंगन हैं...चिदम्बरम को भगवान विष्णु और भगवान शिव का ही प्रतीक माना जाता है.....असाधारण स्थान है यह...यहाँ के पुजारी एक अलग तरह की केश सज्जा रखते हैं....
और बढ़िया सी ड्रेस कोड भी...
दर्शन कर हम बाहर आये....
चिदम्बरम..कुड्डालोर जिले की एक जगह है...यहाँ सोने की बहुत शॉप थी जहाँ गोल्ड की आर्टीफिशल ज्वेलरी बहुत बिकती है....
अब हम कुम्भकोणम के लिये निकल गये...जहाँ हमे रात्रि विश्राम कर सुबह दर्शन करने थे....!!
जय भोले नाथ !!
थिलई नटराज मंदिर |
शानदार
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
ReplyDeleteशानदार पोस्ट संतोषभाई आपके साथ हम भी दक्षिण भारत यात्रा लुफ्त उठा रहे है, शानदार फोटोग्राफी
ReplyDeletethanku vasant bhai
Deleteमैंग्रोव के जंगल देखकर एनाकोंडा मूवी की याद आ गई, बढ़िया व मजेदार यात्रा
ReplyDeleteसही महेश भाई
Deleteधन्यवाद
बहुत बढ़िया, बढ़ते चलो।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया, बढ़ते चलो।
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी
Deleteसंतोष भाई मैंग्रोव के इस जंगल को देखकर मुझे अपनी अंडमान निकोबार की चूना गुफा जाते समय रास्ते में पड़ने वाले मैंग्रोव जंगल की याद आ गई।
ReplyDeleteउस यात्रा में हमने कई किलोमीटर तक मोटर बोट में चलते हुए मैंग्रोव के जंगल में यात्रा की थी।
और सबसे गजब बात,
आज मैंने दो ब्लॉग देखे, मैंग्रोव के जंगल पर,
एक आपका और एक इंग्लिश का और दोनों में ही एक नई बात पता लगी कि भारत में मैंग्रोव के सबसे बड़े जंगल सुंदरबन में स्थित है यह जानकारी मुझे मालूम नहीं थी इस बात का आप का धन्यवाद।
जी संदीप भाई जी ...अंडमान में भी ये जंगल हैं ....और बहुत सुंदर जगह है वो ...आप सौभाग्य शाली हैं ..जो घूम आये ...!!
Deleteआपके अनवरत कॉमेंट के लिये सादर आभार ॥
गजब की जगह है।
ReplyDeleteजी अनिल भाई
Deleteबेहतरीन .. मेग्राओव के जंगल फ़ोटो के ज़रिए ही घूम लिए हम भी .. बहुत शानदार विवरण
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